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मोकामा का खूनी चौराहा 1.0: अपराध, राजनीति और बाहुबलियों का खतरनाक त्रिकोण

 

मोकामा का खूनी चौराहा: अपराध, राजनीति और बाहुबलियों का खतरनाक त्रिकोण

एक सड़क पर दो काफिले टकराए, पत्थर चले, गोलियां बरसीं, और एक बाहुबली जमीं पर लोटपोट। बिहार चुनाव 2025 की ये घटना पुराने जंगल राज की याद दिला गई।

बिहार चुनाव
मोकामा हिंसा
अनंत सिंह
दुलारचंद यादव

चेतावनी: ये कहानी इतनी खतरनाक है कि आपका दिल धक-धक करेगा।

लेकिन यही बिहार की सच्चाई है – जहां प्यार की जगह नफरत, और उम्मीद की जगह बंदूकें चलती हैं।
मोकामा में क्या हुआ? एक हत्या ने पूरे बिहार को हिला दिया।

चौराहे पर मौत का नाच: कैसे शुरू हुई ये खूनी जंग?

कल्पना कीजिए: बिहार का एक छोटा-सा गांव, तरतर का बसावन चक चौराहा। दो राजनीतिक काफिले आते हैं – एक तरफ प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी का काफिला, जिसमें दुलारचंद यादव जैसे पुराने दबंग नेता। दूसरी तरफ जेडीयू के अनंत सिंह का काफिला, जो मोकामा का ‘छोटा सरकार’ कहलाता है।

काफिले टकराते हैं। पहले चीखें, फिर पत्थर। उसके बाद? गोलियां। 75 साल के दुलारचंद यादव को पहले पैर में गोली लगती है, फिर एक गाड़ी उन्हें कुचल देती है। दर्जन भर लोग घायल। ये सिर्फ हिंसा नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति का आईना है – जहां अपराध और सत्ता का गठजोड़ कभी टूटता ही नहीं।

चुनाव आयोग ने बिहार DGP से रिपोर्ट मांगी है। पुलिस ने 4 FIR दर्ज कीं – एक दुलारचंद के परिवार ने अनंत सिंह पर, दूसरी सिंह के समर्थकों ने जन सुराज पर। लेकिन सवाल ये है: क्या ये FIR कुछ बदल पाएंगी? मोकामा तो ‘भूमिहारों की राजधानी’ कहलाती है, जहां 1952 से कोई भी विधायक बिना अपराधिक रिकॉर्ड के नहीं चुना गया।

दुलारचंद का सफर: लालू से किशोर तक, लेकिन मौत अनंत सिंह के नाम

दुलारचंद यादव कोई साधारण आदमी नहीं थे। 1990 के दशक में लालू प्रसाद के करीबी, नीतीश कुमार के साथी, और अनंत सिंह के ‘दोस्त’। 1991 में कांग्रेस कार्यकर्ता सीताराम सिंह की हत्या के मामले में नाम आया – सह-आरोपी थे अनंत के भाई दिलीप सिंह और नीतीश। नीतीश को 2019 में पटना हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। दुलारचंद पर 11 से ज्यादा केस – हत्या, अपहरण, जबरन वसूली।

लेकिन अब ट्विस्ट: पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहती है – गोली पैर में लगी, लेकिन मौत कुचलने से हुई। जन सुराज के पीयूष प्रियदर्शी कहते हैं, “ये साफ हत्या है। अनंत सिंह के गुर्गे ने किया।” वहीं, अनंत सिंह चिल्लाते हैं, “ये सूरजभान सिंह की साजिश है!” सूरजभान – RJD उम्मीदवार वीणा देवी के पति, खुद 26 केसों वाले दबंग।

अनंत सिंह पर 28 केस दर्ज हो चुके – हत्या, अपहरण, UAPA। 2019 में AK-47 और ग्रेनेड बरामद। 2022 में 10 साल की सजा, लेकिन 2024 में बरी। उनकी पत्नी नीलम देवी ने बाइपोल जीता। अब वीणा देवी अनंत से भिड़ रही हैं। ये त्रिकोण – अनंत, सूरजभान, दुलारचंद – मोकामा की राजनीति का पुराना घाव है।

मोकामा के बाहुबलियों की पूरी लिस्ट: कौन किसके दुश्मन?

ये सिर्फ नाम नहीं, बिहार की काली राजनीति की किताब हैं।

1. अनंत सिंह (छोटा सरकार)
2005 से मोकामा पर कब्जा। 50+ केस, AK-47 बरामद। RJD से JD(U) तक। पत्नी नीलम ने बाइपोल जीता। अब वीणा देवी से भिड़ंत।
2. सूरजभान सिंह (बड़ा दबंग)
26 केस, बृज बिहारी प्रसाद हत्या में बरी (सुप्रीम कोर्ट 2024)। 2000 में दिलीप सिंह को हराया। पत्नी वीणा देवी RJD से मैदान में।
3. दुलारचंद यादव (ताल का राजा)
यादव दबंग, लालू-नीतीश के करीबी। जन सुराज में शिफ्ट, यादव वोट काटा। मौत से पहले अनंत पर हमला बोला। पोस्टमॉर्टम: गोली नहीं, कुचलन से मौत।
4. दिलीप सिंह (बड़ा सरकार)
अनंत के भाई, 1990s RJD मंत्री। सूरजभान से हार। अब पीछे हटे, लेकिन परिवार की छाया बरकरार।

मोकामा क्यों है बिहार का ‘जंगल राज’ का प्रतीक?

मोकामा – पटना के पास ये सीट 1952 से भूमिहारों का गढ़। लेकिन अपराध? 1990s में लालू के दौर में यादवों को बढ़ावा दिया गया, दुलारचंद जैसे उभरे। फिर अनंत सिंह ने 2005 से कब्जा किया – क्रूरता और दान से। 2015 में किडनैपिंग-हत्या के लिए 500 पुलिसवाले छापा। 2019 में हथियार बरामद।

प्रशांत किशोर की जन सुराज ने वादा किया – अपराधमुक्त राजनीति। पीयूष प्रियदर्शी (30 साल, EBC) शिक्षा-रोजगार पर फोकस। लेकिन गुरुवार का क्लैश? ये ‘जंगल राज’ की वापसी जैसा। तेजस्वी यादव बोले, “मोदी जी 30 साल पुरानी बातें करते हैं, लेकिन 30 मिनट पहले क्या हुआ?” नीतीश का ‘सुशासन’ अब सवालों के घेरे में।

अन्य अपडेट: पुलिस छापेमारी जारी, अनंत के भतीजे रणवीर-कर्मवीर पर शक। सूरजभान ने रिटायर्ड जज से जांच की मांग की। मोकामा में तनाव, 6 नवंबर को वोटिंग – क्या बदलेगा?

मोकामा की राजनीति को समझने के टिप्स (जैसे एक दबंग)

  • जाति पहले: भूमिहार 60%, यादव 20%। वोट इसी पर निर्भर।
  • अपराध बाद: हर उम्मीदवार का रिकॉर्ड चेक करें – 38 केस अनंत के, 26 सूरजभान के।
  • कहानी सुनें: अनंत की ‘दया’ vs सूरजभान की ‘चालाकी’।
  • जन सुराज का दांव: युवा वोट, लेकिन बाहुबलियों का सामना मुश्किल।
  • 6 नवंबर: वोटिंग से पहले शांति? या और खून?
  • नीतीश का टेस्ट: सुशासन बचेगा या जंगल राज लौटेगा?

समापन: मोकामा सिर्फ सीट नहीं, बिहार का आईना है

दुलारचंद की मौत सिर्फ हत्या नहीं – ये बिहार की पुरानी बीमारी है। अपराधी नेता, जाति की जंग, और सत्ता की भूख।

जन सुराज बदलाव का वादा करता है, लेकिन क्या 6 नवंबर को वोटर जवाब देंगे?

या फिर अनंत-सूरजभान का खेल जारी रहेगा?

अंतिम बाहुबली नियम:
अगर आपकी राजनीति में बंदूकें नहीं चलतीं…
तो ये बिहार की राजनीति नहीं।

© 2025 इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म लैब्सलिखा: हिमांशु हर्ष द हार्डकोर रिपोर्टर

इस ब्लॉग में कोई बाहुबली स्पॉन्सर नहीं। सिर्फ सच्चाई।

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