गरीब लड़की को बेंगलुरु के अरबपति ने थप्पड़ मारकर किया बेइज्जत
सड़क पर हुआ वो वाकया जिसने सबको हिला दिया – लेकिन सच जानकर रह गए दंग!
अरबपति
सच्ची घटना
बेंगलुरु की चमचमाती सड़कों पर एक दिन ऐसा हुआ, जिसने अमीरी-गरीबी की खाई को नंगा कर दिया। एक चमचमाती लग्जरी कार रुकी। उसमें से निकला शहर का मशहूर अरबपति। सामने थी एक फटी हुई साड़ी में एक गरीब लड़की, जो सड़क किनारे फूल बेच रही थी। अचानक गूंजा एक जोरदार थप्पड़। भीड़ सन्न। लेकिन असली चौंकाने वाला सच तो अभी बाकी था…
वो पल जब सन्न रह गई भीड़
शाम के 6 बज रहे थे। कोरमंगला की मुख्य सड़क पर ट्रैफिक जाम था। एक 16 साल की लड़की, राधा, फूलों की माला बेच रही थी। उसकी आँखें थकी हुई थीं, लेकिन चेहरे पर मुस्कान। तभी एक काली मर्सिडीज रुकी। ड्राइवर ने खिड़की नीचे की।
वो दृश्य जो सबने देखा
कार से उतरा एक सूट-बूट वाला आदमी। चमचमाते जूते, महँगा घड़ी, और चेहरे पर घमंड। उसने राधा से कुछ कहा। राधा ने सिर झुका लिया। फिर अचानक — चटाक! एक जोरदार थप्पड़। राधा सड़क पर गिर पड़ी। भीड़ में सन्नाटा। कोई बोला नहीं।

अनाथ, फूल बेचकर गुजारा करती है। माँ की बीमारी के इलाज के लिए पैसे जुटा रही थी।
बेंगलुरु के टॉप बिल्डर। 5000 करोड़ की संपत्ति। शहर में “लौह पुरुष” के नाम से मशहूर।
थप्पड़ के पीछे का सच
विजय मल्होत्रा ने गुस्से में चिल्लाया, “तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी गाड़ी को छूने की? ये गंदी मालाएँ मेरी कार पर मत चिपकाया कर!”
राधा ने रोते हुए कहा, “सर, मैंने तो सिर्फ फूल दिखाया था। गाड़ी को हाथ भी नहीं लगाया।”
लेकिन विजय नहीं माने। उन्होंने ड्राइवर को इशारा किया और कार आगे बढ़ा दी। राधा सड़क पर अकेली रोती रह गई।
असली ट्विस्ट – जो कोई नहीं जानता था
राधा कोई साधारण लड़की नहीं थी…
वो थी विजय मल्होत्रा की अपनी बेटी!
15 साल पहले की कहानी
विजय मल्होत्रा की पहली पत्नी, सुशीला, एक गरीब परिवार से थी। शादी के बाद विजय ने उसे तलाक दे दिया था। सुशीला गर्भवती थी। उसने राधा को जन्म दिया और अकेले पाला। कैंसर से लड़ते-लड़ते सुशीला की मृत्यु हो गई। राधा अनाथ हो गई।
विजय को कभी पता नहीं चला कि उनकी बेटी जिंदा है। वो दूसरी शादी कर चुके थे। नई पत्नी, नया परिवार।
सच का खुलासा
अगले दिन अखबारों में खबर छपी। किसी ने वीडियो वायरल कर दिया। विजय का चेहरा सबने देखा। तभी एक पुराना पड़ोसी आया। उसने विजय को एक पुराना फोटो दिखाया – सुशीला और नवजात राधा का।
विजय के पैरों तले जमीन खिसक गई। वो राधा को ढूंढने निकले। अस्पताल, अनाथालय, सड़कें। आखिरकार कोरमंगला की उसी सड़क पर मिली – जहाँ उन्होंने थप्पड़ मारा था।
विजय की आँखें नम। पहली बार घमंड टूटा।
“बेटी… मैंने क्या कर दिया…”
सीख – जो दिल को छू गई
अमीर-गरीब में कोई फर्क नहीं होता
खून का रिश्ता पैसों से नहीं, दिल से बनता है।
एक थप्पड़ ने एक पिता को उसकी बेटी से मिलाया।
घमंड इंसान को अंधा कर देता है। प्यार आँखें खोल देता है।
आज राधा विजय के घर में रहती है। स्कूल जाती है। विजय ने अपना सारा घमंड त्याग दिया। अब वो हर गरीब बच्चे की मदद करते हैं।
कहानी का अंत?
एक थप्पड़ ने एक परिवार को जोड़ा।
एक गलती ने एक इंसान को इंसान बनाया।
कभी-कभी, सबसे बड़ी सजा खुद का सच होता है।
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